LAC पर भारतीय और चीनी सेनाओं में हुई झड़प के बाद तनातनी में जिस तरह से देश में आत्मनिर्भर अभियान के सुर तेज हुए हैं. उतनी ही तेजी से आत्मनिर्भरता पर अमल करना आसान नहीं है. 21 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा और वोकल फॉर लोकल के प्रचार के बीच रातों-रात चीन पर निर्भरता खत्म करना ना तो सरकार के बस में है. और नहीं कारोबारी जगत के. भारत चीन से जितना आयात करता है उसकी तुलना में उसे करीब 25 फ़ीसदी ही निर्यात करता है.
कोविड-19 महामारी के चलते घटे कारोबार से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी 3.2 फ़ीसदी रही. जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था गर्त में जा चुकी है. केंद्र सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार 2020-21 वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच विकास दर में 23.9 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
अभी भी भारत की चीन पर निर्भरता काफी है. चीन की कंपनियों ने 225 भारतीय कंपनियों में निवेश कर रखा है और आत्मनिर्भरता पर स्वदेशी रंग चढ़ाना भी इतना आसान नहीं लग रहा है. कोरोना के चलते नवंबर 2019 से ही चीन से साइकिल का आयात लगभग ठप पड़ा था. अब सीमा पर तनातनी के बीच चीन के साथ कारोबार के खिलाफ माहौल बना है.
चीन पर निर्भरता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि अनेक वस्तुएं भारत में अभी भी तैयार नहीं होती हैं. भारत में सालाना 2.20 करोड साइकिले बनती हैं इनमें से मात्र 5 फ़ीसदी का निर्यात होता है जबकि चीन हर साल 9 करोड़ साइकिल उत्पाद कर उसमें से 6 करोड़ का निर्यात करता है.
भारत चीन सीमा विवाद के बीच चीनी एप्लीकेशन जैसे पब्जी, लाइकी, विडमैट, टिक टॉक जैसी लगभग 150 से ज्यादा ऐप को भारत ने बैन कर दिया गया है.
भारत में कई उद्योग चीन से आयात पर निर्भर हैं. भारत के आत्मनिर्भर बनने से पहले स्टील आयल एंड गैस, फार्मा, ऑटो कंज्यूमर ड्यूरेबल और केमिकल उद्योग के लिए विकल्प तलाशना होगा. देश के 5.30 लाख करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में चीन का सिर्फ 6 फ़ीसदी निर्यात होता है जबकि आयात में 67 फ़ीसदी निर्भरता चीन पर है. भारत के ऑटोमोबाइल पुर्जों की जरूरत का 30 फ़ीसदी चीन से आता है…दवा बनाने के लिए 70 फ़ीसदी भारतीय दवा कंपनियां चीन पर निर्भर हैं…
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले 4 वर्षों के दौरान चीन से फार्मा प्रोडक्ट का आयात 28 फ़ीसदी बढ़ा है. 2015-16 में भारत ने चीन से 947 करोड का आयात किया था. जो 2019-20 में बढ़कर 1150 करोड़ रुपए का हो गया है.
चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2019 में भारत और चीन का आपसी कारोबार 92.68 अरब का रहा,जो 2018 में 95.7 अरब का था. वित्त वर्ष 2020 में इसमें करीब 70 फ़ीसदी गिरावट की संभावना है.
