प्रयागराज में लगभग हर दिन लोग आत्मघाती कदम उठा रहे हैं. कोई नौकरी न मिलने से तो कोई आर्थिक तंगी से अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं. अगर बात करें जुलाई महीने की तो जिले में 22 दिनों में 18 लोगों ने मौत को लगे लगाया है. संगम नगरी में मंगलवार रात पांच परिवारों के लिए काली रात बन गई. शहर के विभिन्न इलाकों में प्रतियोगी छात्रा, युवक और महिला समेत पांच ने आत्महत्या कर ली. ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना और उसके कारण बढ़ती परेशानियों ने प्रतियोगी छात्र/छात्राएं, दुकानदार, घरेलू महिला और नौकरीपेशा से जुड़े लोगों को डिप्रेशन में ढकेल दिया है.
युवा उठा रहे आत्मघाती कदमः
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 22 दिन में 18 लोगों ने खुदकशी की है. कुछ ऐसी भी घटना हुई, जिसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी गई. आत्मघाती कदम उठाने वाले शख्स मुश्किलों का सामना करने और जिंदगी में जूझने के बजाय टूटकर मौत को गले लगा रहे हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि आत्महत्या करने वालों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग है. इसमें कई छात्र और छात्रा हैं. कुछ ने सुसाइड नोट लिखकर आत्मघाती कदम उठाने का कारण लिखा. कुछ के परिवार वालों ने वजह बताई, लेकिन कई के बारे में यह साफ नहीं हो सका कि उन्होंने ऐसा क्यों किया. जानकार ऐसी घटनाओं के पीछे सामाजिक बदलाव और दूसरी परेशानियों को जिम्मेदार बता रहे हैं.
आंकड़ो पर एक नज़रः
- 21 जुलाई- देवरिया के किसान की बेटी ने प्रयागराज में आत्महत्या किया.
- 20 जुलाई – छात्रा नीति, युवक अभिषेक जायसवाल, अरुण कुमार, सुनील मिश्रा व अलका खन्ना ने आत्महत्या की.
- 19 जुलाई- शिवकुटी में प्रतियोगी छात्रा पूजा, सिवि लाइंस में ड्राइवर प्रदीप ने फंदे से लटककर दी जान.
- 18 जुलाई- शिवकुटी में छात्रा नेहा ने आत्मघाती कदम उठाया.
- 18 जुलाई- रेलवेकर्मी ने सरकारी आवास में फ़ांसी तो ई-रिक्शा चालक ने घर में लगा ली आग
- 17 जुलाई- मुट्ठीगंज में बीए की छात्रा नेहा ने मौत को गले लगाया.
- 13 जुलाई- शिवकुटी में नौकरी न मिलने पर प्रतियोगी छात्र विकास कुमार फंदे पर लटक गया.