इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और जाने माने विज्ञानी प्रोफेसर सीएल खेत्रपाल का बुधवार को लखनऊ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में निधन हो गया. अब उनका पार्थिव शरीर शोध अनुसंधान के लिए लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी को दान में दिया जाएगा.
प्रोफेसर खेत्रपाल का जन्म 25 अगस्त 1937 को हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पूरी की। मुंबई के प्रतिष्ठित परमाणु ऊर्जा स्थापना प्रशिक्षण से परास्नातक की पढ़ाई की. फिर 1965 में उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से पीएचडी की. खेत्रपाल ने पोस्ट डाक्टोरल के दौरान प्रोफेसर 1967 से 1969 तक स्विटजरलैंड के बेसल यूनिवर्सिटी में शोध किया. 1973 में वह भारत लौटे और बंगलुरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट मेंं बतौर शिक्षण कार्य शुरू किया। यहां प्रोफेसर जीएन रामचंद्रन के सुझाव पर 1977 में भारत के पहले परमाणु चुंबकीय अनुनाद रिसर्च सेंटर की स्थापना की. अब यह एनएमआर रिसर्च सेंटर के नाम जाना जाता है। इसके बाद वह शोध के लिए 1979 से 1984 विदेश में रहे.
AU में गढ़े नए आयामः
प्रो. सीएल खेत्रपाल 1998 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति नियुक्त किए गए. यहां वह 2001 तक पद पर थे। उनका कार्यकाल कई शैक्षिक सुधारों के लिए जाना जाता है. उन्होंने एयू में कई सेंटर की स्थापना की. इसके बाद वे संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में 2001-06 तक प्रोफेसर रहे। वह यहां सेंटर ऑफ बायोमेडिकल मैग्नेटिक रेजोनेंस के संस्थापक निदेशक भी रहे. उनकी 260 पुस्तकें प्रकाशित हैं। सैकड़ों पुस्तकों की समीक्षा की है.